"जब मैं पहली बार TB के खिलाफ आवाज़ उठाना चाहती थी तो लोगों ने मुझे मना किया । मगर मेरे ख्याल में इलाज के उन छह सालों के बारे में बात करना मेरे लिए सबसे ज़्यादा ज़रूरी था ।"

दीप्ती चव्हाण पेशेंट एडवोकेट, एमडीआर टीबी विजेता

जब मैं पहली बार TB के खिलाफ आवाज़ उठाना चाहती थी तो लोगों ने मुझे मना किया । मगर मेरे ख्याल में इलाज के उन छह सालों के बारे में बात करना मेरे लिए सबसे ज़्यादा ज़रूरी था । TB से मेरी लड़ाई 17 साल पहले शुरू हुई थी जब मैं बोर्ड्स की तैयारी करती हुई 16 साल की एक छात्रा थी । एक X-RAY में पता चला कि मेरी लगातार खांसी TB है। हालांकि डॉक्टर आने वाले कई महीनों तक MDR-TB का पता लगाने में नाकामयाब रहे।

जांच में देर मेरी पीड़ा की शुरुआत थी। MDR-TB के इलाज में इस्तेमाल होने वाली दवाइयों के विपरीत असर के लिए मैं तैयार नहीं थी। एक दवाई है cycloserine, इसके साइड इफेक्ट से व्यक्ति को आत्महत्या के ख्याल आते हैं, वह चिड़चिड़ा हो जाता है, कुलमिलाकर आपका दिमाग आपके बस में नही होता है। परिवार को लगता है कि वो ऐसा इसीलिए कर रहा है क्योंकि वो बीमार है लेकिन ये दवाई का असर है और ये बस एक दवाई का साइड इफेक्ट् है। एक और दवाई है clofazimine इसके साइड इफेक्ट से व्यक्ति का रंग काला हो जाता है। मैं अपने चेहरे में अचानक आये इस बदलाव की वजह से खुद को आईने में देखने से डर रही थी।

मेरे मां बाप से लगातार सवाल पूछे जाते थे। 2000 में मेरी सर्जरी के बाद उनसे लगातार पूछा जाने लगा कि अब मेरी शादी कैसे होगी। मुझे इन लोगों के व्यवहार पर ताज्जुब हुआ। अब जब मेरी सर्जरी हो गयी तब लोगों इस बात की खुशी नही होनी चाहिये कि मैं अब ठीक हूँ बजाय इस बारे में चिंता करने के की मेरी शादी कैसे होगी?

मेरा परिवार मेरा सबसे बड़ा सहारा था और मेरे साथ लड़ रहा था। ये मेरा सौभाग्य था कि कोई और संक्रमित नहीं हुया मगर मुझे अब इस बात का डर रहता है।

मेरा इलाज 2005 में सम्पन्न हुआ। 2011 में मैन नीरज से शादी की जिससे मेरी दोस्ती 2004 में हुई थी। पहले मैं अपनी बीमारी की वजह से ना कहना चाहती थी लेकिन उसे मेरी बीमारी से कोई फर्क नहीं पड़ता था और आगे चलके उसके माता-पिता ने भी हमारा साथ दिया।

मेरे सत्यमेव जयते पर आने के बाद मेरे मरीज़ मुझसे सुझाव मांगने लगे। एमडीआर टीबी के साइड इफेक्ट्स बहुत दर्दनाक होते हैं और कुछ ही मरीजों को इसके बारे में ठीक से पता होता है। अब मैं लोगों को वह सुझाव दे सकती हूं जो मुझे कभी नहीं मिली। दूसरे मरीज़ मुझे बताते हैं कि उन्हें अपने इलाज की बात सबसे छुपानी पड़ती है। वो रात को सबसे छुपकर दवाइयां लेते है। किसीके पति को तलाक चाहिये, किसी को घर से निकाल दिया गया है, और किसीको उसके बच्चों से अलग रखा जा रहा है। मेरा सौभाग्य था कि मेरे साथ ऐसा कुछ नही हुआ। फिलहाल मैं मरीज़ों के लिये लड़ने पर ध्यान दे रही हूं क्योंकि मुझे नहीं लगता मैं TB के अलावा और कुछ कर सकती हूं।

मैं मरीज़ों का इलाज नही कर सकती मगर और तरीको से उनकी सहायता ज़रूर कर सकती हूं।