"हम सब के जीवन में कोई ना कोई लक्ष्य ज़रूर होता है। जिसे पाने के लिए हम कड़ी मेहनत करते हैं,बहुत सारी योजनाएं बनाते हैं और एक आशावादी विचारधारा के साथ आगे बढ़ते हैं । मैं भी चाहती थी कि मैं आसमान की ऊंचाइयों तक पहुँचूँ । पर कहते हैं ना की ज़िंदगी बदलने में बहुत समय लगेगा.. पर क्या पता था कि बदलता समय ज़िंदगी बदल देगा।"

ऋतू खट्टर एम बी ऐ विद्यार्थी, टीबी विजेता

हम सब के जीवन में कोई ना कोई लक्ष्य ज़रूर होता है। जिसे पाने के लिए हम कड़ी मेहनत करते हैं,बहुत सारी योजनाएं बनाते हैं और एक आशावादी विचारधारा के साथ आगे बढ़ते हैं । मैं भी चाहती थी कि मैं आसमान की ऊंचाइयों तक पहुँचूँ । पर कहते हैं ना की ज़िंदगी बदलने में बहुत समय लगेगा.. पर क्या पता था कि बदलता समय ज़िंदगी बदल देगा।

ऐसा ही कुछ मेरे साथ भी हुआ, जब मैं अपनी ग्रेजुएशन पूरी कर के हर आशावादी युवा की तरह अपनी नौकरी के लिए पहुँची। कुछ पाँच महीनों बाद मुझे रोज़ ही थकान, खाँसी और सर दर्द का सामना करना पड़ा। मुझे ऐसा लगा कि यह सब नियमित दौर से भोजन न करने का नतीजा है । और अपने सहकर्मियों की सलाह पर मैं डॉक्टर के पास गई ।

मेरे लिए हालात बदतर होते जा रहे थे । मैं 200 मीटर तक की दूरी भी नहीं चल पा रही थी । और जनवरी 2017 में मुझे एहसास हुआ कि मैंने डॉक्टर की सलाह लेने में बहुत देर कर दी। और तब मैं बैंगलोर से दिल्ली अपने माता पिता के पास वापस आ गई।

मैं पूरी तरह से टूट चुकी थी | सुबह से शाम तक एक कमरे में बंद रहती थी । पूरी तरह से उदासी और निराशा ने मुझे घेर लिया था। मैंने सोचा कि घर बैठे-बैठे ख़ुद को दुखी करने से अच्छा है की मैं कोई काम करू और अपने जीवन को वापस से पहले जैसा बनाने की कोशिश करु। पर यह बहुत मुश्किल था क्योंकि मेरे शरीर में इतनी ताक़त नहीं बची थी| फिर भी जब मुझे इंटरव्यू कॉल आने लगे तो मुझे लगा की सब कुछ ठीक हो जाएगा। लेकिन 24 मार्च (World TB Day )की सुबह मेरे लिए एक अलग ही नज़ारा लेकर आयी। उस सुबह जब मैं इंटरव्यू की तैयारी के लिए उठी तो ख़ुद को आईने में देखते ही डर गई ।

मेरे पूरे मुंह पर लाल धब्बे नज़र आने लगे जो देखते ही देखते मुंहासों में बदल गए ।मैं तुरंत ही डॉक्टर के पास गई और उनसे ज़िद की है कि वह मेरी दवाइयाँ बंद कर दें। लेकिन TB जैसी बीमारी में एक भी दिन की दवाई की चूक जानलेवा हो सकती है |और अब TB की दवाइयों के साथ-साथ मुझे स्किन की दवाइयां भी लेनी पड़ रही थी| मेरी मुश्किलें यहीं नहीं रुकीं । मुझे पता चला कि मुझे हाइपर थाइरॉयड है । मेरा 15 किलो वज़न बढ़ चुका था। और अब मेरे पास अगर कुछ बचा था तो वो एक मोटा शरीर, मुंहासों वाली त्वचा और टूटा हुआ आत्मविश्वास । एक ही सवाल जो मेरे ज़हन में था वो यह कि आख़िर मैं ही क्यूँ ? पर चीज़े बदलने लगी ,मैं ख़ुद को बहुत ख़ुशनसीब मानती हूँ कि मेरे परिवार वालों ने, डॉक्टरों ने, मेरे दोस्तों ने, मेरे इलाज में और मुझे डिप्रेशन से बाहर लाने में बहुत बड़ा योगदान दिया।

मेरी एक डॉक्टर फ्रेंड ने मेरी सहायता करी |उसने मुझे समझाया की जिस बीमारी से मैं जूझ रही हूँ ।उसके अनेक साइड इफेक्ट होते हैं ।और सिर्फ दवाइयां ही नहीं बल्कि किसी भी बीमारी से लड़ने के लिए आत्म विश्वास भी बहुत ज़रूरी है ।उसकी सलाह को भी मैंने अपने जीवन में उतारा और एक सकारात्मक बदलाव लाने की कोशिश करी। मैंने अपने ख़ान पान पर ध्यान दिया और व्यायाम शुरू किया । मैंने ख़ुद से प्यार करना शुरू किया और ख़ुद को अपनाना शुरू किया । और धीरे-धीरे सारी चीज़ें बदलने लगी । 2017 में मुझे मेरी जॉब मिल गई ,मैंने CAT की परीक्षा क्रैक करी और इलाज के साथ-साथ अपनी पढ़ाई पर भी पूरा ध्यान दिया । कई बार मेरे कदम लड़खड़ाए, लेकिन वो कहते है ना अंत भला तो सब भला । फेब्रुअरी 2019 में मैं पूरी तरह से ठीक हो चुकी थी और मेरी ख़ुशी का ठिकाना नहीं था और इसी साल मेरा MBA भी पूरा हुआ।

चाहे कुछ भी हो जाए हमें कभी भी अपनी सेहत को दाँव पर नहीं नहीं लगाना चाहिए। चाहे हम कितनी भी व्यस्त हो हमें नियमित रूप से एक्सरसाइज और खाने पर ध्यान देना चाहिए । हमारी ज़रा सी लापरवाही हमें दवाइयों ,डर ,अवसाद और निराशा के बीच ढकेल सकती है। मैं आप सब से यही कहना चाहती हूँ कि जितना कठिन रास्ता होगा आपको उतना ही ज़्यादा सीखने का और ख़ुद को निखारने का मौक़ा मिलेगा। कठिनाइयों से न घबराते हुए समझदारी से आगे बढ़ना ही जीवन है । मैं उम्मीद करती हूँ कि मेरी ये कहानी , जो भी लोग TB या इसी प्रकार की अन्य बीमारियों से जूझ रहे हैं उनका हौसला बड़ाएगी और ये जंग जीतने में उनकी मदद करेगी । उनको एक अँधेरी रात से एक ख़ूबसूरत सुबह की ओर ले जाएगी । एक बात जो हमें हमेशा याद रखनी चाहिए " आप का आज का चुनाव आपके कल को प्रभावित करेगा"