"मैं 2016 के अप्रैल में बीमार पड़ा। बुखार आता-जाता रहता था, तीन हफ्ते से खांसी रुक ही नहीं रही थी, और मेरा ४ किलो वज़न भी काम हो गया था।"

हिमांशु पटेल ऑपरेशन्स एनालिस्ट, एमडीआर टीबी विजेता

मैं 2016 के अप्रैल में बीमार पड़ा। बुखार आता-जाता रहता था, तीन हफ्ते से खांसी रुक ही नहीं रही थी, और मेरा ४ किलो वज़न भी काम हो गया था। इन तीन हफ्तों के दौरान मैं दो बार डॉक्टर के पास गया। उन्हें लगा की मुझे कोई आम वायरल इन्फेक्शन है इसलिए उन्होंने मुझे कुछ दवाइयां दी मगर उनका कोई असर नहीं हुआ। मुझे बाद में एक चेस्ट स्पेशलिस्ट के पास भेज दिया गया। डॉक्टर ने मुझसे कहा यह TB लग रहा है मगर जांच के परिणाम को सुनिश्चित करने के लिए उन्हें मेरे sputum के सैंपल की ज़रूरत पड़ेगी। मैं सोच में पद गया " मैंने ज़िन्दगी में कभी सिगरेट या शराब को हाँथ नहीं लगाया। मुझे TB कैसे हो सकता है। "

डॉक्टरों ने मुझे समझाया की TB किसीको भी हो सकता है। उन्होंने मुझे ये भी समझाया की तब कैसे फैलता है और कैसे थोड़ी देर के लिए ही सही लेकिन मुंह ना ढंकने से आपको TB हो सकता है। आगे जब मेरा sputum test positive आया तो उन्होंने फिर मेरा सैंपल drug sensitivity test (DST) के लिए भेजा। इसके बाद पता चला की मेरा TB दोनों ही प्राथमिक दवाइयों से बचा हुआ था।

आगे जब मेरा sputum test positive आया तो उन्होंने फिर मेरा सैंपल drug sensitivity test (DST) के लिए भेजा। इसके बाद पता चला की मेरा TB दोनों ही प्राथमिक दवाइयों से बचा हुआ था।

इलाज के साइड इफ़ेक्ट .

TB बहुत डरावना नहीं है मगर इलाज कठिन है और इसके साइड इफेक्ट्स इस हद्द तक डरावने हैं की आप शायद दवाई ना लेने के बारे में सोचेंगे। मेरे दिमाग से कुछ ऐसे ख्याल गुज़र रहे थे: क्या होगा अगर मैं पागल हो जाऊ और दुसरो को नुक्सान पहुंचाने लगूँ? अगर आत्महत्या करली तो मेरे माँ-बाप क्या करेंगे? मैं उनकी एकलौती संतान हूँ और हमारे पास अपना घर भी नहीं है। अगर मुझे कुछ होगया तो वह अपना ध्यान कैसे रखेंगे? अगर मैं अपंग हो गया तो मैं उनपर बोझ बनकर उनकी तकलीफें बढ़ाऊंगा। यह सारे बुरे ख्याल मेरे लिए एक ऐसा जाल बनगए थे जिनसे बचना मुमकिन नहीं था। सौभग्यवश मैं न अँधा हुआ न बहरा।

अब मैं आपको इस कहानी का अगला पहलु बताता हूँ। मेरे काम करने की क्षमता कम हुई। मैं चीज़ें भूलने लगा। एक दिन मेरे मैनेजर ने मुझसे अकेले में बात की, उन्हें मेरी बिमारी के बारे में पता था। मैंने किसी से इसके बारे में कुछ छुपाया नहीं था। उन्होंने मुझसे कहा - " काम पर आओ। बैठो, घूमो, और काम की चिंता मत करो।

मेरे एक बेहद करीबी मित्र के परिवार ने मुझे भी अपना हिस्सा मान लिया। यह मेरे इस बिमारी से उभरने का एक बहुत बड़ा कारण था। मेरी माँ मुझे हर दो-तीन घंटे में खाना देती थी। मेरे रिश्तेदारों, सहकर्मियों, और यहां तक मेरे दोस्त के परिवार तक ने हमें भरोसा दिलाया की हमें इलाज और खाने के लिए कभी पैसो की कमी नहीं होगी।

दुसरे मरीज़ों से बात करके अच्छा लगा

इतने साथ और प्यार के बावजूद मेरे लिए TB से लड़ना मुश्किल था। मैं बहुत शुक्रगुज़ार हूँ की मेरी मुलाक़ात दो बहुत ही खूबसूरत लोगों से हुयी। मैं मानता हूँ की यह सब काफी डरा देने वाला अनुभव था लेकिन इन लोगों ने MDR TB से मेरा संघर्ष आसान कर दिया।