मानसिक स्वास्थ्य के मुद्दे तथा टीबी जैसी महामारी आपस में जुड़े हुए हैं । सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणालियों मानसिक स्वास्थ्य के मुद्दों पर और उसकी वजह से TB के इलाज पर हो रहे दुष्प्रभाव पर अच्छी तरह ध्यान नहीं दे पा रहे है। ये आज भी उनके लिए बड़ी चुनौती है| यह मरीज़ों की TB से लड़ने की क्षमता और भविष्य में उनकी कुशलतापूर्वक जीवन जीने की क्षमता को प्रभावित करती है।
मानसिक स्वास्थ्य संबंधी चिंताओं को अकसर अनदेखा कर दिया जाता है और प्राथमिकता नहीं दी जाती है। ये बात कोई नहीं समझता की मानसिक स्वास्थ्य का सीधा प्रभाव मरीज़ के इलाज पर पड़ता है। मरीज़ को बीमारी से लड़ने के लिए प्रेरित करने की जरूरत है । अगर मरीज़ मानसिक रूप से सक्रिय है तो ज़रूर ही उसे बीमारी से लड़ने में ज़्यादा ताक़त मिलेगी। मानसिक स्वास्थ्य के मुद्दों से TB का इलाज भी प्रभावित होता है| अकसर टीबी के मरीज ज़्यादातर सर्वाइवरस मानसिक स्वास्थ्य के मुद्दों को विकसित कर लेते है| निदान और उपचार के परिणामस्वरूप निराशा, उदासी और अन्य सम्बन्धों में तनाव का सामना करना पड़ता है।
हम चाहते हैं की इलाज के दौरान किसी भी मरीज़ का मनोबल कमजोर न हो| हमारा काम मानसिक स्वास्थ्य और टीबी और इनके कारण हो रही चुनौतियों पर केंद्रित है । सर्वाइवर्स के अनुभव और विशेषज्ञों की राय से हम TB और मानसिक स्वास्थ्य के इस रिश्ते के बारे में जागरूकता फैलाने का कार्य कर रहे है| हम इस रिश्ते के सूक्ष्म पहलुओं को सामने लाना चाहते हैं। हम टीबी और मानसिक स्वास्थ्य के ऐसे तरीकों पर काम करते हैं जो उस इंसान पर केंद्रित हों जिसे देखभाल मिलनी चाहिए । हम SATB के माध्यम से टीबी के मरीज़ों और उनके परिवारों के मानसिक स्वास्थ्य की ज़रूरतों और उन पर मानसिक स्वास्थ्य के प्रभाव की बात करते है।