टीबी दो प्रकार की होती है: पल्मनरी टीबी (जो फेफड़ों को प्रभावित करती है) और एक्स्ट्रा-पल्मनरी टीबी (इपी टीबी) जो खून के जरिये शरीर के अन्य हिस्सों को प्रभावित करती है। ऐसा भी कह सकते हैं कि टीबी शरीर के अंगों और टिशू (ऊतकों) पर असर डालती है। बाल एवं नाखूनों को टिशू नहीं माना जाता इसलिए इन पर टीबी का कोई असर नहीं होता।
पल्मनरी टीबी के कुछ सामान्य लक्षण हैं: लंबी अवधि (3-4 घंटे) तक, और खासकर शाम के वक्त रहने वाला तेज़ बुखार; वजन घटना; भूख में कमी; लंबे समय तक (दो सप्ताह से अधिक) खांसी रहना; खांसी में खून आना; रात को पसीना आना। उपरोक्त बताए लक्षणों के अलावा इपी टीबी में शरीर के प्रभावित हिस्से (इपी टीबी से प्रभावित हिस्सा) में असहनीय दर्द देखने मिलता है।
जांचः
प्रत्येक रोगी की स्थिति अलग होती है और एक प्रशिक्षित चिकित्सक ही उसकी जांच एवं उपचार की पुष्टि कर सकता है। हालांकि, अगर दवा संवेदनशीलता परीक्षण (डीएसटी) किया जा रहा है तो इससे यह अच्छी तरह पता चलेगा कि कौन सी दवाएं काम करेंगी और कौन सी नहीं करेंगी। डीएसटी अनिवार्य रूप से कराया जाना चाहिए! इसके अलावा, अगर आप मानसिक संतुष्टि के लिए किसी दूसरे विशेषज्ञ की राय लेना चाहते हैं, तो इसमें ज़रा भी संकोच ना करें।
टीबी की जांच और उपचार स्थिति की पुष्टि के लिए सामान्य बलगम जांच, एक्स-रे, और दवा संवेदनशीलता परीक्षण (डीएसटी) कराया जाता है। कुछ अन्य मामलों में सीटी, सोनोग्राफी, एफएनएसी आदि की ज़रूरत भी पड़ सकती है।
उपचारः
आपको किस प्रकार की टीबी है, इस आधार पर उपचार तय किया जाता है। इसके लिए 6 महीने से लेकर 2 साल या उससे अधिक भी लग सकते हैं। टीबी का उपचार एक डॉक्टर की निगरानी में होना चाहिये और यह उपचार तभी रोकें जब सभी परीक्षण होने के बाद डॉक्टर की अनुमति मिल जाये। अगर बिना डॉक्टर की अनुमति के इलाज रोक दिया जाता है, तो इससे गंभीर जटिलताएं हो सकती हैं। उपचार के दौरान पूरी सावधानी बरतें और कोई भी फैसला डॉक्टर की अनुमति मिलने के बाद ही करें।
टीबी बैक्टीरिया विभिन्न स्वरूपों में पनपता है। अगर यह बैक्टीरियम फेफड़ों पर हमला करता है तो इसे पल्मनरी टीबी कहते हैं और अगर यह शरीर के अन्य हिस्सों (तिल्ली, रीढ़, पेट आदि) को प्रभावित करता है, तो इसे इपी टीबी कहते हैं। यह दोनों प्रकार की टीबी दवा प्रतिरोधक भी हो सकती है। आपको दी जा रही दवाओं में भिन्नता, टीबी के प्रकार, दवा प्रतिरोध का स्तर और आपके उपचार के चरण पर निर्भर होगी।
इंजेक्शन्स दूसरी पंक्ति के टीबी उपचार का अहम हिस्सा होते हैं। एक मरीज़ पर पहली पंक्ति यानि मल्टी-ड्रग रेजिस्टेंट टीबी (एमडीआर-टीबी) का इलाज विफल होने के बाद दूसरी पंक्ति का इलाज होता है। यह बिमारी जब दवा प्रतिरोध के एक प्रकार से दूसरे प्रकार में तब्दील होती है, तब उपचार बदलता है और गंभीर दवा प्रतिरोध मिटाने के लिए इंजेक्शन दिये जाते हैं।
टीबी को पूरी तरह ठीक किया जा सकता है, बशर्ते इस बिमारी की सही पहचान हो सके, सही इलाज प्रदान किया जाए और इलाज की संपूर्ण अवधि तक मरीज़ अपना इलाज पूरा करे। मरीज़ को नामित सरकारी टीबी केंद्र जाकर मुफ्त जांच एवं उपचार हासिल करना चाहिये। एक बार टीबी मुक्त घोषित होने के बाद मरीज़ एक स्वस्थ एवं पोषक आहार लेते हुए सामान्य जीवन व्यतीत कर सकता है।
आपको लखनऊ के किसी भी सरकारी अस्पताल में जाकर टीबी प्रोग्राम में अपना नामांकन कराना होगा। इसके बाद आप वहां से मुफ्त में दवाएं प्राप्त कर सकते हैं। सरकार ने इसके लिए एक हेल्पलाईन भी शुरु की है, जहां आप किसी भी पूछताछ के लिए फोन कर सकते हैं।
दवाओं के बीच समय का फासला विभिन्न स्थितियों के लिए अलग-अलग होता है। यह आपके द्वारा ली जा रही दवा और उसकी खुराक पर भी निर्भर करता है। इस बारे में सबसे बेहतर सलाह आपके डॉक्टर ही दे सकते हैं।
दुष्परिणाम:
टीबी दवाएं और विशेषकर ड्रग-रेजिस्टेंट टीबी दवाओं से कई सारे साइड-इफेक्ट्स यानि दुष्परिणाम होते हैं। जैसे उल्टी होना, तेज़ सिरदर्द और थकावट। यह स्थितियां आपके द्वारा ली जा रही दवाओं पर निर्भर करती है। हालांकि, डॉक्टर की सलाह लेकर इन दुष्परिणामों का इलाज किया जा सकता है। सबसे गंभीर प्रकार की टीबी होने पर आंशिक अंधापन, बहरापन, आँखों में तकलीफ के साथ ही दिल पर प्रभाव जैसे दुष्परिणाम हो सकते हैं। हालांकि यह अत्यधिक गंभीर मामलों में ही होता है। लेकिन फिर भी आपको हमेशा सावधान रहते हुए अपनी स्थिति पर नज़र रखने की ज़रूरत है। अपने दुष्परिणामों की एक सूची बनाकर रखें ताकि उनकी निगरानी कर सकें और डॉक्टर से मुलाकात के दौरान इनके बारे में बता सकें।
उल्टी होना इस बिमारी में बेहद ही आम स्थिति है और इससे काफी अधिक कमज़ोरी आती है। इसके लिए पर्याप्त मात्रा में पानी तथा अन्य तरल पदार्थों का सेवन करें और अपने शरीर को स्थिर बनाए रखने के लिए एक संतुलित आहार लें। इसके साथ ही कुछ छोटी-छोटी बातों का ध्यान रखना ज़रूरी है। जैसे भोजन के बाद सीधे बैठें, हर दो घंटे में थोड़ा सा कुछ खाते रहें और डॉक्टर की अनुमति लेकर एंटासिड या ईनो लेने से भी राहत मिलेगी। न्यूरोपैथी होने पर तुरंत डॉक्टर को सूचित करें ताकि इसके लिए ज़रूरी उपाय किये जा सकें। इंद्रिया कमज़ोर होना, देखने या सुनने में परेशानी जैसी स्थितियों के बारे में भी जल्द से जल्द डॉक्टर को बताएं। आपको हमेशा सावधान रहते हुए अपनी स्थिति पर नज़र रखने की ज़रूरत है। अपने दुष्परिणामों की एक सूची बनाकर रखें ताकि उनकी निगरानी कर सकें और डॉक्टर से मुलाकात के दौरान इनके बारे में बता सकें।
अगर दवा लेने के बाद उल्टी होती है, तो इसकी ज़रूरत शायद ना पड़े। लेकिन अगर यह दवा लेने के दौरान होती है, या उल्टी के साथ ली गई दवा बाहर आ जाए, तो आपको फिर से दवा लेनी पड़ सकती है। इसके लिए अपने डॉक्टर से पूछना ही सबसे अच्छा रहेगा और यह भी पूछें कि क्या गोलियों को चूर कर भी निगल सकते हैं?
इसके लिए कोई विशेष जांच तो नहीं होती लेकिन कोई तकलीफ – जैसे देखने या सुनने में परेशानी होने पर डॉक्टर की सलाह लें।
इन तकलीफों के मिटने का समय हर मरीज़ के लिए अलग हो सकता है और उस व्यक्ति के शरीर को कितनी जल्दी इन दवाओं की आदत पड़ती है, यह इस पर भी निर्भर करेगा। हालांकि, धैर्य रखना ज़रूरी है और यह जान लें कि कुछ दिनों में यह दुष्परिणाम खत्म हो जाएंगे। अपने डॉक्टर को दुष्परिणामों की जानकारी देते रहें ताकि ज़रूरी होने पर कोई चिकित्सा उपाय किये जा सकें।
मैंने जीवन के प्रति एक सकारात्मक सोच बनाए रखी जिससे मुझे काफी अधिक मदद मिली। मैंने हमेशा खुद को यह भरोसा दिलाया कि दुष्परिणाम जल्द ही खत्म हो जाएंगे और मुझे बस कुछ ही दिन इन्हें सहना है। दरअसल, मेरे पास कोई विकल्प ही नहीं बचा था – मुझे बस इतना पता था कि अगर ठीक होना है, तो दुष्परिणामों से लड़ना ही होगा। हालांकि, मैंने अपने डॉक्टर को भी इनके बारे में बताया और एक विशेषज्ञ से भी मिला जिन्होंने मेरे संदेह दूर करने में मदद की।
टीबी उपचार के दौरान अवसाद (डिप्रेशन) एक आम साइड-इफेक्ट है और मरीज़ को इसके लिए तैयार रहना चाहिए। इसके लिए बस एक ही उपाय है कि मरीज़ को परामर्श द्वारा दवा के दुष्परिणामों से जूझने के लिए तैयार किया जाए, साथ ही उसे उपचार की पूरी अवधि के दौरान सभी प्रकार की मदद की जाए। इसके अलावा, मरीज़ को भी अपने चिकित्सक अथवा परामर्शदाता के साथ सहयोग करना होगा और उन्हें अपने सभी दुष्परिणामों की स्थिति से अवगत रखना होगा। इस तरह मरीज़ और परामर्शदाता दोनों के बीच पारदर्शी संपर्क बना रहेगा। यह एक प्रभावशाली चिकित्सा बनेगी जिससे टीबी उपचार में भी फायदा होगा। अगर आपके डॉक्टर किसी कारणवश आपको परामर्श ना दे सकें तो आप अपने सवालों के साथ हमें संपर्क कर सकते हैं।
अगर कभी भी ऐसा लगे कि आपको कम सुनाई दे रहा है, तो समय पर इसकी पहचान करें अथवा डॉक्टर की सलाह के आधार पर हर 2-3 महीने में जांच कराते रहें। ध्यान रहे कि थोड़ा भी कम सुनाई पड़ने पर डॉक्टर को तुरंत सूचित करें।
उपचार के बादः
महिलाओं का गर्भवती होना कई सारे पहलूओं पर निर्भर करता है, जिनमें हॉर्मोन का संतुलन, गर्भाशय का स्वास्थ्य जैसे अन्य कारण शामिल होते हैं। इस विषय में सबसे उपयुक्त और निश्चित सलाह, सभी परीक्षण और पर्याप्त जांच के बाद आपके डॉक्टर से ही मिल सकती है। कुछ मामलों में ऐसी भी संभावना है कि टीबी होने के बाद एक महिला मरीज़ गर्भवती ना हो सके (खासकर जब टीबी ने गर्भाशय को प्रभावित किया हो)। हालांकि, चिकित्सा विज्ञान में तकनीक दिन दूनी रात चौगुनी प्रगति कर रही है और ऐसी कई पद्धतियां सामने आ चुकी हैं जो एक महिला मरीज़ को मां बनने में मदद कर सकती हैं।
हां, इलाज पूरा होने के बाद भी आपको एक संतुलित, अधिक प्रोटीन युक्त आहार और एक स्वस्थ जीवनशैली बरकरार रखनी होगी।
परिवार के सदस्यों को पूरे समय मुखौटा पहनना ज़रूरी है। यह सुनिश्चित करें कि मरीज़ का कमरा चारों तरफ से हवादार हो और वहां धूप आती रहे जिससे संक्रमण में कमी आएगी। मरीज़ के साथ ही घर के सभी सदस्यों को भी रोग प्रतिरोधक क्षमता बनाए रखने के लिए एक स्वस्थ आहार लेना चाहिये। इस तरह मरीज़ जल्दी ठीक हो सकेगा और परिवार सुरक्षित रहेगा।
सामान्य प्रश्नः
अगर आपके डॉक्टर ने आपको गैर-संक्रामक घोषित किया है, तो आपको मुखौटा पहनने की ज़रूरत नहीं है। हालांकि, टीबी आपके शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को गंभीर नुकसान पहुंचाती है। इसलिए अगर आप गैर-संक्रामक हैं तब भी खुद को सुरक्षित रखने के लिए मुखौटा पहन सकते हैं। कई लोगों का मानना है कि मुखौटा पहनने से आत्मविश्वास में कमी आती है और लांछन का शिकार भी होना पड़ता है। इसलिए, अगर आपका इलाज चल रहा है और आप संक्रामक हैं तो आपको हर समय मुखौटा पहनना ज़रूरी है जिससे दूसरे लोग संक्रमित ना हों।
वैसे, तो संभोग (सेक्स) के जरिये टीबी संक्रमण काफी कम देखा गया है, लेकिन मेडिकल सामग्रियों में इसका प्रमुख रूप से उल्लेख किया गया है। अगर टीबी संक्रमित महिला का इलाज चल रहा है और उसके जीवनसाथी की रोग प्रतिरोधक क्षमता मज़बूत है तो संक्रमण का खतरा कम हो जाता है। अगर संभोग (सेक्स) द्वारा संक्रमण होता है, तो यह बिमारी प्रजनन अंगों को प्रभावित कर सकती है और इससे आगे चलकर गर्भधारण में समस्या हो सकती है। इसलिए यहां भी एक प्रशिक्षित डॉक्टर की सलाह महत्वपूर्ण होगी।
प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट्स के पर्याप्त मिश्रण वाला संतुलित आहार टीबी का इलाज जारी रख पाने की शक्ति प्रदान करेगा। इसके अलावा, हरी पत्तेदार सब्जियां, अंडे, केले, विटामिन और मिनरल्स मरीज़ की प्रतिरक्षण प्रणाली मज़बूत बनाएंगे। अगर हो सके तो एक आहार चार्ट बनाएं और अपने डॉक्टर से भी सलाह मांगें, ताकि अपने आहार की निगरानी कर सकें।
सर्जरी का फैसला डॉक्टर के हाथ में होगा। आमतौर पर सर्जरी को अंतिम विकल्प माना जाता है।
मैं लगभग पूरे समय बिस्तर पर ही रहने पर मजबूर था इसलिए अधिक व्यायाम नहीं कर पाया। लेकिन हमें थोड़ा टहलना ज़रूर चाहिये या प्राणायाम करना चाहिये। टीबी से ठीक होने की प्रक्रिया धीमी है, लेकिन मरीज़ को यह समझना होगा कि ठीक होने की प्रक्रिया शुरु होने के बाद व्यायाम बेहद ज़रूरी है। इससे रोग प्रतिरोधक शक्ति बनती है और जोश बना रहता है।
मेरा मामला काफी मुश्किल था इसलिए मुझे अपनी सामान्य दिनचर्या में लौटने के लिए सालों लग गए। ऐसा होने में थोड़ा वक्त तो ज़रूर लगेगा लेकिन इस दौरान एक सकारात्मक सोच रखना बेहद ज़रूरी है। कई सारे लोग पार्ट-टाइम काम करने की कोशिश करते हैं और धीरे-धीरे फुल-टाईम काम करने लगते हैं ताकि अपना करियर जारी रख सकें। एक अन्य उपयोगी रास्ता यह भी है कि जब आप काम करने की स्थिति में ना हों तो पढ़ना जारी रखें और अपने ज्ञान व कौशल में वृद्धि करते रहें। यह काफी महत्वपूर्ण है।
आप अपने डॉक्टर से आग्रह कर सकते हैं कि आपकी कंपनी को एक पत्र लिखकर आपकी स्थिति के बारे में समझाएं। अगर आप ऐसा नहीं चाहते तो कोई नई पार्ट टाईम नौकरी ढूंढ सकते हैं।
टीबी का पूरी तरह से सफल इलाज किया जा सकता है। इसकी शीघ्र और सही जांच के साथ बिना किसी रुकावट उपचार पूरा करने पर ही आप ठीक हो सकेंगे। इनमें से किसी भी बात का पालन ना करने पर टीबी जानलेवा हो सकती है। टीबी से प्रभावित लोग उपचार होने के बाद जीवन में कुछ भी हासिल कर सकते हैं।
दोनों ही स्थानों पर टीबी का इलाज होगा। लेकिन सार्वजनिक (सरकारी) अस्पताल में आपको मुफ्त जांच और इलाज मिलेगा। निजी अस्पतालों के साथ मुश्किल यह है कि यहां अनियमित इलाज होता है और साथ ही जांच सुविधाओं में बिमारी की सही पहचान नहीं की जाती, जिससे ड्रग-रेजिस्टेंट टीबी का फैलना जारी रहता है। वैसे, निजी क्षेत्र के अस्पतालों में एक फायदा यह है कि यहां आपकी गोपनीयता रखी जाती है, सुविधाएं अच्छी मिलेंगी और यह अधिक दूर नहीं होंगे। सरकारी सेवाओं में इसका ठीक उल्टा होगा।
सरकार के टोल फ्री हेल्पलाईन नंबर पर फोन करें और सरकारी टीबी कार्यक्रम में नामांकन की जानकारी मांगें। या सबसे नज़दीकी सरकारी डिस्पेंसरी में जाकर इसके लिए पूछताछ करें। इसके अलावा, आप एक स्थानीय सरकारी अस्पताल में जाकर रजिस्टर करा सकते हैं। अगर आप अपनी जानकारी गुप्त रखना चाहते हैं तो यह सुनिश्चित करें कि एक डॉट्स प्रदाता आपकी दवाएं आपके घर तक पहुंचाए।
हमारे समाज में टीबी को एक कलंक के रूप में देखा जाना एक बड़ी समस्या है। यह बिमारी आपकी शादी की संभावनाओं को जरा भी प्रभावित नहीं करेगी। यह सिर्फ उन लोगों की सोच पर निर्भर है जो आपसे मिलते हैं और बात करते हैं। आप दीप्ति की कहानी ज़रूर पढ़ें और जानिये कि उसने कैसे इन चुनौतियों का मुकाबला किया।
मासिक धर्म चक्र में बदलाव कई कारणों पर निर्भर है जिसमें हॉर्मोन का असंतुलन भी शामिल है। अगर माहवारी में देरी बनी रहती है, तो आपको किसी भी तरह की दवा लेने से पहले डॉक्टर की सलाह ज़रूर लेनी चाहिये। ऐसी स्थितियों में खुद से कोई दवा ना लें क्योंकि एक दवा का दूसरे दवा से संपर्क होने से अधिक नुकसान हो सकता है। कोई भी गोली लेने से पहले अपने डॉक्टर को ज़रूर पूछ लें।
दवाओं के साथ सामंजस्य बिठाने के लिए हर व्यक्ति के शरीर को समय लगता है। जैसे ही दवाएं आपके शरीर पर काम करने लगेंगी, इस बिमारी के लक्षण भी घटने लगेंगे और आपको भूख लगनी शुरु हो जाएगी। इसके बाद आपका बुखार भी घटने लगेगा। लेकिन, इस इलाज का प्रभाव नज़र आने के लिए आपको थोड़ा समय इंतज़ार करना होगा। इलाज शुरु होने के बाद मरीज़ को अच्छा अनुभव होने लगता है लेकिन इलाज पूरा करना ज़रूरी है, भले ही मरीज़ को कैसा भी महसूस हो। इस दौरान खुद को व्यस्त और उत्साहित रखना महत्वपूर्ण है। सकारात्मक सोच रखें, छोटी छोटी खुशियों के लिए आभार प्रकट करें। इस तरह टीबी से ठीक होने का सफर कम तनावपूर्ण बनेगा।
यौन संबंधों का अर्थ हर व्यक्ति के लिये अलग होता है। टीबी होने पर यह यौन रिश्तो व टीबी के प्रकार पर निर्भर करता है। जैसे कि पल्मोनरी टीबी चुंबन से फैल सकता है । हालाँकि टीबी का यौन संक्रमण से फैलना काफी दुर्लभ है लेकिन चिकित्सकीय साहित्य में इसे काफी विस्तार से अध्य्यन किया गया। संक्रमण की संभावना तब भी कम हो जाती है अगर एक व्यक्ति इलाज करवा रहा हो या दूसरे की प्रतिरोधक क्षमता अच्छी हो। यौन संक्रमण होने पर टीबी प्रजनन अंगों को प्रभावित कर सकती है और आगे चल कर प्रजनन समस्याओं को जन्म दे सकती है। वह व्यक्ति जिनहें जननांगी टीबी है उनकी टीबी यौन संक्रमण से फैल सकती है। इससे पहले की आप ऐसा कोई भी कदम लेने से पहले एक बार अपने चिकित्सक से बात करलें और उनसे अपनी सारी शंकायें और सवालो के बारे में विस्तार से चर्चा करें